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इन लव विथ बिलियनेयर( कॉन्ट्रैक्ट मैरिज ) (भाग-25)

पिछले भाग में आपने पढ़ा था की रोहन जब भागने लगता है तो सब लोग भी उसके पीछे भागने लगते है उसे पकड़ने के लिए....ऋषभ अपनी जगह से हिलता भी नहीं है ...सब उसे देखकर हैरान हो जाते है ........



अब आगे ,

अवनी .....खुशी को नैंसी और संजना के पास छोड़कर ऋषभ के सामने जाकर खड़ी हो जाती है और कहती ,
अवनी - ऋषभ जी ये आप क्या कर रहे है ....( गुस्से में ) 
( ऋषभ कुछ नहीं कहता है )
अवनी - ( उसका हाथ पकड़कर ) ऋषभ जी जाइए उसे पकड़िए ...वरना वो भाग जाएगा ...
( ऋषभ वहां से हिलता तक नहीं है )
अवनी -( उसका हाथ झटका कर ) कुछ नहीं होगा आपसे....
( और फिर जैसे ही भागने जाती है ऋषभ उसे अपनी तरफ खींच लेता है और अपनी बाहों में ढक कर कहता है ...

ऋषभ - ( मुस्कुराते हुए ) बहुत कुछ होगा मुझसे ....अभी तक आपने देखा ही कहा है ....

( अवनी मुंह खुला करके है उसकी तरफ देखने लगती है तभी विहान का पैर पत्थर से  टकरा जाता है और वो वहीं धड़ाम से गिर जाता है ......अवनी .. हड़बड़ा कर इधर - उधर देखती है और ऋषभ से खुद को छुड़ाकर विहान को उठाती है तो वो कहता है )

विहान - भाई ..रोहन को पकड़िए वरना वो भाग जाएगा ....
ऋषभ - ( मुस्कुराते है ) नहीं भाग पाएगा ...

   ( विहान उसे हैरानी से देखने लगता है.....तभी सब लोग देखते है कि सामने रोड पर दो लोग साइकिल चलाते हुए आ रहे  साथ में रोहन को बीच में लटकाए हुए ,

सब दौड़ना बंद करके जहां होते है वहीं रुक जाते है और एक दूसरे को देखने लगते है .....वो दोनो रोहन को लटकाए हुए ही आते है और ऋषभ के सामने पटक देते है ...और फिर उनमें से एक हेलमेट निकालता है और मुस्कुराते हुए कहता है ....

- जीजू हो गया काम आपका 😃
- अवनी को छोड़कर सब एक साथ कहते है -( शॉक से ) जीजू ....

(अवनी कहती है )

अवनी - (हैरानी से ) भाई आप यहां ! अचानक से कैसे ??
देव - दीदी ..जीजू ने बुलाया तो हम चले आए ......

( पीछे संजना जब देव को देखती है तो उसका फेस पूरे गुस्से में लाल हो जाता है .....वो धीरे धीरे से उसकी तरफ आने लगती है तो ....तभी देव के फोन बजता है )

धीरे धीरे से मेरी ज़िन्दगी में आना 
धीरे धीरे से दिल को चुराना
तुमसे प्यार हमें है कितना जान-ए-जाना 
तुमसे मिलकर तुमको है बताना

( हड़बड़ा कर वो अपना फोन ऑफ करता है और हंसते हुए कहता है )
देव - (😅) सॉरी गृह मंत्री का फोन आया था .....
आदि - वाह तुम्हारे तो गृह मंत्री से भी कनेक्शन है ......( फिर आंखे ऊपर करके ) तुम ..ये अवनी के नए भाई कब पैदा हुए ?
देव - ( मजाकिया अंदाज में ) कुछ ही हफ्तों पहले .....
( हाथ आगे करते हुए ) हेलो आई एम दे.....
( आ चिल्लाते हुए नीचे गिर जाता है .....सब देखते है कि संजना ..देव के ऊपर बैठ कर उसको हाथो से मार रही और देव अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रहा है ...और कहता है )
देव - अबे चुड़ैल तुम यहां क्या कर रही हो .....?
संजना -( गुस्से में ) चुड़ैल किसको बोले .....😤अभी बताती हु ....

( सब लोग संजना को रोकने कि कोशिश करते है पर  वो रुकती ही नहीं है ...किसी तरह देव खुद को बचा उठकर भागने लगता है तो संजना ...पीछे से उसके लंबे बाल खींच लेती है ....देव भी आ ( करते हुए ) पीछे मुड़ता है और संजना के बाल नोचने लगता है ..........दोनों ही बिल्कुल एक गुस्सैल सांड की तरह लड़ रहे होते है ....और एक दूसरे का बाल नोचने लगते है .......तभी पीछे से देव को एक बेलन पड़ता है वो
( आह 😨करके पीछे मुड़ता है तो देखता है कि ) 4 औरते खड़ी है ...बेलन , चप्पल, डंडे और सैंडिल के साथ ........वो आंखे बड़ी करता है और संजना को आगे खींचकर खुद उसके पीछे खड़ा हो जाता है ......तभी ऋषभ आकर कहता है ,

ऋषभ - मॉम...ये आप क्या कर रही है ....ये देव है...
            ( कान के पास जाकर वहीं जिसने अवनी जी को ब्लड दिया था )

( निहारिका जी ये सुनते ही बेलन छोड़ देती है और देव का हाथ पकड़कर अपने सामने खड़ा कर देती है.... तो उसकी हालत और भी खराब हो जाती है वो अपना माथा छुपाते  हुए कहता है )

देव - आंटी जी कही भी मार लीजिए ..पर माथे पर मत मारियेगा....वरना( नील की तरफ इशारा करते हुए ) इनके गुस्से से सब भगवान को प्यारे हो जाएंगे ........

निहारिका जी - क्या ...क्या मतलब ?

देव - मतलब ये कि ....ये मेरा भाई ..सबको अपने गुस्से से मारता है ....तो मै हसाता हूं ..…...और ( मुंह नीचे लटकाते हुए ) अगर आपने मेरे माथे पर मारा तो मेरा दिमाग काम करना बंद कर देगा ...और फिर मै किसी को .....

( पीछे से संजाना कहती है ) 

संजना - अकल के दुश्मन....काम ना काज के , दुश्मन समाज के 🙄

( सपना जी पीछे से आती है और संजाना का कान खींचते हुए कहती है )
सपना जी - घर ना जाकर सीधे.. मां से युद्ध पर मिलती हो....
संजना -( आ आ ) माताजी कान छोड़ दीजिए ....घर का सारा काम कर दूंगी ....( देव की तरफ देखकर धीरे से  ) जैसे इस लंगूर के साथ किया था......
सपना जी - क्या ??

( अवनी वहीं खड़ी होती है तो सुन लेती है )

संजना - कुछ नहीं ...कुछ नहीं ...
( संजना वहां से निकलकर नीचे बेहोश रोहन को देखने लगती है )
निहारिका जी - अरे बेटा ( माथे पर हाथ रखकर)सॉरी ... पीछे से हमे लगा रोहन है जिससे संजना लड़ रही .......
विहान - मॉम ....रोहन की तो  यहां है खूब बैंड बजाई है सबने ......

( श्वेता जी जो डंडा लेकर खड़ी होती है ...रोहन के नजदीक जाकर कहती )

श्वेता जी - तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी के साथ ऐसा करने की ?😡
( और फिर श्वेता जी एक डंडा लगा देती है उसे ...तो ऋषभ आकर रोक देता है )
ऋषभ - आंटी जी ये काम अब आप पुलिस पर छोड़ दीजिए .......

( श्वेता जी अपना गुस्सा दबाए ..खुशी के पास जाती है और उसे गले लगा लेती है ...पीछे गुस्से में खड़ा आनंद सबसे अलग होकर  सब देख रहा होता है ........थोड़ी देर बाद पुलिस आ जाती है और रोहन - मैनेजर को लेकर चली जाती है .....उसके बाद सब लोग खुशी के पास आ जाते है ....खुशी के तो आंसू ही नहीं रुक रहे होते है ...वो अवनी को पकड़कर रोने लगती है.....साथ मै श्वेता जी भी सर पर हाथ रखकर रोने लगती है और कहती है )

श्वेता जी -( रोते हुए ) ये सब मेरी वजह से हुआ...मै ही पागल थी जिसने उस बदतमीज लड़के से अपनी बेटी की शादी के बारे में सोचा ....
निहारिका जी - अरे आप ऐसा मत कहिए.....अब तो हमारी बेटी ठीक है ना ....
श्वेता जी - अब क्या होगा मेरी बेटी का ..?...सारे समाज में हमारी बेइज्जती हो गई 
निहारिका जी - आप समाज के बारे में क्यों सोच रही है ....हमारी खुशी ठीक है हम उसी में खुश है ....
श्वेता जी - हमारी खुशी तो ठीक है पर अब उससे कौन करेगा शादी ? ....कौन अपनाएगा उसे जिसकी शादी होने से पहले ही टूट गई ...

( वही पीछे खड़ी नैंसी जब ये सुनती है तो ..... नील के कंधे पर हाथ रखकर कहती है )
नैंसी- ( नील से हंसते हुए ) ये मॉम क्या बकवास कर रही है ...
( नील उसकी तरफ देखने लगता है और आगे खिसक जाता है जिससे नैंसी  थोड़ी लचक जाती है और  उसे गुस्से में देखने लगती है )
श्वेता जी - अब मेरी बेटी का ......
( तभी पीछे से आनंद आता है और खुशी का हाथ पकड़कर खींचते हुए ले जाने लगता है .......सब हड़बड़ा कर उसकी तरफ देखते है .....आनंद ..खुशी को कार में बिठाता और स्टार्ट करके वहां से जाने लगता है ........पीछे सब उसे हैरानी से देखने लगते है ..अवनी कहती है ,
अवनी - ऋषभ जी चलिए ...ये देवर जी कहा जा रहे है खुशी को लेकर .....
ऋषभ - नहीं पता है ....
अवनी - तो फिर जल्दी चलिए ना ...

( दोनों भागकर कार मै बैठते है और आनंद का पीछा करने लगते है …......पीछे और सब लोग भी आने लगते है .........)

दूसरी तरफ 

कार में बैठी खुशी ...आनंद को ही देखी जा रही होती है जो पूरे गुस्से में एक हाथ से गाड़ी  चला रहा होता है और दूसरा हाथ से खुशी का हाथ पकड़ रखा होता है .......खुशी डरते हुए उससे पूछती है ,
खुशी - हम कहा जा रहे है ?
( आनंद कुछ नहीं कहता है ........थोड़ी देर बाद गाड़ी जाकर एक मंदिर के पास रुकती है ...आनंद कार से बाहर निकलता है और खुशी का हाथ पकड़कर सीढ़ियों पर चढ़ने लगता है ....
खुशी - आनंद जी रुकिए ...ये हम मंदिर में क्यों जा रहे है प्लीज़ रुकिए  .......मेरे पैरो मे दर्द हो रहा है ...

( आनंद बिना कुछ जवाब दिए खुशी को गोद में उठा लेता है और सीढ़ियों पर चढ़ने लगता है .........अंदर दुर्गा मां की मूर्ति के पास आकर रुकता है और खुशी को गोद से उतारकर....माता कि चुनरी से उसका सर ढक कर कहता है .......
आनंद - मुझे नहीं पता ..जो मै करने वाला हूं वो सही है या नहीं....पर मै आपको ऐसे रोते हुए नहीं देख सकता है ......

( फिर आगे बढ़कर सिंदूर उठाता है और खुशी की मांग भर देता है .......खुशी उसकी इस हरकत से अवाक हो जाती है और वही मूर्ति की तरह खड़ी रह जाती है .......तभी आनंद के गालों से एक थप्पड़ पड़ता है , वो मुड़कर सामने देखता है तो ... निहारिका जी उसे गुस्से में देख रही होती है ,

निहारिका जी - ये क्या किया तुमने.....कोई होश है भी या  नहीं...
( आनंद मुंह लटकाए वहीं खड़ा रहता है ....)

निहारिका जी - ( आनंद का हाथ पकडकर) ये तुमने सही नहीं किया बेटा .....शादी ब्याह कोई खेल नहीं है ...
( आनंद बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है और तभी खुशी बेहोश होकर गिर जाती है ... निहारिका जी बैठकर  उसका सर उठाकर गोद में रख लेती है और अवनी से कहती है ,)
अवनी - बेटा......कार में पानी का  बोतल होगा जल्दी लाओं .....
( अवनी जाने लगती है तो ऋषभ उसे रोककर खुद चला जाता है लाने के लिए ....पानी लेकर आने के बाद निहारिका जी ...खुशी के मुंह पर पानी के छींटे डालती है... जिससे खुशी ....नहीं ..नहीं ..रुक जाइए कहकर हड़बड़ा कर अपनी आंखे खोल देती है और देखती है कि सामने श्वेता जी , निहारिका जी ..सब लोग बैठे हुए ......वो उठते ही श्वेता जी को पकड़कर रोने लगती है .......तब निहारिका जी कहती है ,

निहारिका जी -( श्वेता जी से ) अब जो भी हुआ है उसके लिए सच में आपसे माफी मांगती हु ......मुझे पता है अब जो हो गया है उसे मै फिर ठीक नहीं कर सकती ... हां पर अपनी बहू को अपने साथ घर ले जाने की आज्ञा जरूर चाहुंगी आपसे …...(मुस्कुराते हुए )

( श्वेता जी हैरानी से निहारिका जी तरफ देखने लगती है तो सपना जी कहती है )

सपना जी - हां हमे बस हमारी बहू दे दीजिए .....बाकी एक सच बोलूं ....( मुसकुराते हुए ) मुझे अपने आनंद बेटे पर नाज है कि उसने मेरे लिए खुशी जैसी बहू चुना....

( पीछे खड़ी अवनी खुश होकर ...ऋषभ के गले लग जाती है और कहती है )

अवनी - आज मै बहुत खुश हूं .....मेरी तरफ से आज आईसक्रीम पार्टी आपके लिए 
...
( ऋषभ उसके गले लगने से ही थोड़ा हड़बड़ा जाता है .....क्योंकि ऐसा  अवनी कभी कभार ही करती है ....वो मुस्करा कर उसे देखने लगता है ...........तभी नैंसी कहती है )
नैंसी - ये हुई ना बात पर अब जीजू को नहीं छोडूंगी......मेरा  जूते चुराने वाले रसम का सत्यानाश कर दिया ......
देव - अरे हो जायेगा .....
नैंसी -( मुसकुराते हुए देख कर ) आप बहुत कॉन्फिडेंट वाले लगते है ..... जूते चुराने मे मेरी तरफ से ठीक .....
देव - ठीक भा.....
नैंसी - क्या ?
देव - मतलब ठीक है ....

( नैंसी ......संजना के पास जाकर खड़ी हो जाती है तो वो कहती है )
संजना - दुर रहो  इससे ....😡( देव की तरफ गुस्से में देखकर ) इसके साथ रही तो तुम्हारा भी पोपट हो जायेगा......
( नैंसी हंसने लगती है तो श्वेता जी उसकी तरफ मुड़कर देखती है... जिससे  वो हंसना रोककर अपने मुंह पर उंगली रख लेती है ........)

श्वेता जी - अब मै क्या कहूं .....
निहारिका जी - कुछ मत कहिए.....बस हमे हमारी बहू दे दीजिए.....

( तभी खुशी अपनी जगह से उठ जाती है और किसी से बिना कुछ कहे वहां से जाने लगती है तो श्वेता जी घबरा जाती है और कहती है )
श्वेता जी - कहा जा रही हो खुशी??
खुशी - अपने घर.........

( खुशी फिर सीढ़ियो से उतरकर निहारिका जी  वाली कार में बैठ जाती है .......ऊपर खड़े सब लोग ये देखते है और फिर निहारिका जी ...श्वेता जी से कहती है )

निहारिका जी -( श्वेता जी का हाथ पकड़कर ) आप खुशी की चिंता मत कीजिए ...उसे मै अपनी बेटी की तरह ही प्यार करूंगी जैसे अवनी को करती हूं........हां बस ये की एक दिन आपके द्वार मेरे आनंद की बारात जरूर जाएगी ...

( श्वेता जी भी मुस्कुराती है और निहारिका जी के गले लग जाती है ....उसके बाद सब लोग घर के लिए निकल जाते है .......आदि - रिया एक साथ , नील और देव अपनी साइकिल से वापस मिलने का वादा करके निकल जाते है .......विहान ... माताओं के साथ  और जब ऋषभ .. संजना को अपने साथ चलने को कहता है तो वो कहती है ,

संजना - नहीं भाई नहीं .....आप जाओ ..भाभी के साथ ...मुझे मेरी कमर बहुत प्यारी है ..,😅

( ऋषभ वहां खड़े खड़े ही हंसने लगता है तो अवनी ..ऋषभ को घुर कर अपने पैर से ऋषभ के एक पैर पर मारकर ..कार में जाकर बैठ जाती है ....बाहर ऋषभ सीढ़ियों पर ही अपनी टांग पकड़कर बैठ जाता है और कहता है ...🙄...)
ऋषभ - मै नहीं जा रहा..
अवनी - ठीक है फिर मै जा रही हूं..
( और फिर वो उठकर ड्राइविंग वाली सीट पर बैठ जाती है ....और कहती है )
अवनी - आप आ रहे है या मै जाऊ ?
( ऋषभ उठकर ....पीछे वाली सीट पर बैठ जाता हैं.....फिर अवनी  कार स्टार्ट करती है और चलाना शुरू कर देती है ...कभी दाए - कभी बाए ....और ऋषभ भी इसी तरह ही तो वो अवनी से पूछता है )

ऋषभ - आप.... आपने कभी कार चलाई है ....
अवनी - हां..... हां चलाई है ना ...
ऋषभ - कब ....कब कहा चलाईं है ??
अवनी - ( उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखकर ) वीडियो गेम में ....
(ऋषभ ये सुन अपनी आंखे बड़ी करता है और कहता है आगे देखिए .....वो हड़बड़ा कर  सामने देखती है और कार को ब्रेक लगा देती है जिससे ऋषभ उछल जाता है और उसका गला सीट्स के बीच में फंस जाता है ....आगे अवनी अपना सर उठाती है और कहती है ,)
अवनी -( हांफते हुए ) ये लीजिए अपनी कार और खुद ड्राइव कीजिए .....

( ऋषभ कुछ नहीं कहता है )

अवनी - ऋषभ जी ....
( फिर से कोई जवाब नहीं आता है तो अवनी को गुस्सा आ जाता है और वो झुंझलाहट के साथ कहती है ......)
अवनी - ऋषभ जी ...क्यों परेशान कर रहे है....मै जा रही बाहर ..
(तभी ऋषभ कहता है )
ऋषभ - अ... अवनी..जी 
अवनी - हूह तबसे मे बोल रही तो सुनते नहीं ..अब मै भी नहीं सुनूंगी.....
( ऋषभ फिर से कहता है .......अवनी दो तीन बार नखरे करती है और कहती है ठीक है अब मजा आया ना ....मुझे भी ऐसे ही बुरा लगता है जब आप जवाब नहीं देते .........और फिर अवनी जैसे ही पीछे मुड़ती है ....)

अवनी -( आ आ करके चिल्ला देती हैं और कहती है ) ये ...ये आपकी आधी बॉडी कहा गई ....
ऋषभ - ( दर्द में ) पहले मेरा गला बाहर निकालिए .....

( अवनी ...धीरे धीरे करके ऋषभ का गला बाहर निकालती है और और अपनी साड़ी से अपना फेस छुपाते हुए दूसरी सीट पर बैठ जाती है ......ऋषभ फिर अपना गला सहलाते हुए बाहर निकलकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और कार स्टार्ट कर देता है ............शाम का टाइम हो गया होता है ...ठंडी हवा चल रही होती है जिसके कारण अवनी का बाल बार बार उड़कर उसके फेस पर आ जाता है .....ऋषभ तिरछी आंखो से उसे देखता और कहता है )
ऋषभ -( दर्द में ) आह ..
अवनी - तिरछी नजरों से देखना बंद कीजिए वरना इसी तरह दर्द होगा ......

( ऋषभ......कार रोककर अवनी को देखता है और दर्द मे आह आह ...करते हुए घर पहुंच जाता है .....)


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दूसरी तरफ निहारिका जी ....खुशी को लेकर पहुचती है तो उसे डोर पर ही रोककर .....अंदर चली जाती है ...फिर पूजा की थाली लेकर आती है और उसकी आरती उतारने के बाद हॉल में ले जाकर सोफे पर बिठा देती है ......….विवेक - परी उसे देखते है तो पढ़ना छोड़ ...उसके पास चले जाते है ......और कहते है ,
विवेक - अरे दीदी आप यहां?
सपना जी - अब से आपकी दीदी यही रहेंगी .......
परी -( खुश होकर ) क्या सच में ....

( पीछे खड़े अनंत जी कहते है )
अनंत जी - क्या मतलब ?
( खुशी उन्हे देखकर सोफे से खड़ी हो जाती है )
सपना जी - वो ...वो

( निहारिका जी बीच में ही आकर कहती है )

निहारिका जी - आप कमरे में आइए बताती हूं 

( फिर दोनों लोग अंदर जाते है तो निहारिका जी......अनंत जी को सब कुछ बताती है ... जिससे वो गुस्से में भड़क जाते है और कहते है )

अनंत जी - ( गुस्से में 😡) उसकी हिम्मत कैसे हुई ...ऐसा कदम उठाने की .....
निहारिका जी - आप जरा धीरे बोलिए ....
अनंत जी - आपके लाडले बेटे की वजह से मेरी इज्जत बर्बाद हो जाएगी और उस नीले - पीले के इस कदम से मेरी होती हुई डील पर पानी फिर गया ..........

निहारिका जी - क्या ....क्या किया है मेरे लाडले ने 
( अनंत जी कुछ नहीं कहते है )
निहारिका जी - आपको अभी से ये बात कहती है .....मेरे बच्चो की ज़िन्दगी कभी बिजनेस के डील में मत लगाइएगा .....😡
..................
( बाहर खड़ी खुशी ये सब सुन लेती हैं जिसके कारण उसकी आंखो मे आंसू आ जाते है ....... निहारिका जी बाहर आती है तो खुशी अपने आंसुओ को पोछ लेती हैं और मुस्कुराने लगती है फिर निहारिका जी उसे आनंद के कमरे की तरफ ले जाती है और डोर खोलकर कहती है ,)
निहारिका जी - ये देखो.....ये है मेरे नीले पीले और( हंसते हुए ) उसकी दुल्हनिया का कमरा .......


निहारिका जी - उसे लाइट मे सोने की आदत है इसलिए स्पेशली अपने लिए ऐसा बेडरूम तैयार करवाया है बाकी मै अब चलती हु ...दोनों मैनेज कर लेना ....

( निहारिका जी  नीचे चली जाती है.... तो खुशी अंदर आती है और सोफे पर बैठकर - इधर - उधर देखती है ....दीवारों पर जहां वो फैमिली फोटोग्राफ लगी होती  है .........और एक साइड पर आनंद की बचपन की फोटो जिसमे वो बहुत क्यूट लग रहा होता है ...तभी उसकी नज़र कोने में लगी फोटो पर अटक जाती है जिसे ..दो फ्रेम्स के बीच में लगाया गया होता है ......वो उठती है ......


( नीचे .....विहान बालकनी में बैठकर एक पुराना गाना सुन रहा होता है ,

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा 
रोके ज़माना चाहे रोके खुदाई 
तुमको आना पड़ेगा 
जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा

( संजना ...विहान के बेड पर ही बैठकर अपनी जीभ बाहर निकालकर दोनों कानों को बन्द करते हुए कहती है ,)

संजना - ओय शुतुरमुर्ग 🙄बंद  कर......इसी तरह सुनते रहे तो अंदर बैठा सिंगर बाहर निकल आएगा और कहेगा ...मालिक अब बस करो ...क्यों मुझे मारना चाहते हो ....
( विहान हाथ में लिए हुए तकिए से चला कर संजना को मारता है और कहता है दफा हो जाओ.....वरना यही खिड़की से नीचे लटका दूंगा .....)
संजना -( तकिया वापस मारते हुए ) जा रही हूं चमगादड़ 😂


.......

दूसरी तरफ ऋषभ ....अवनी घर पहुंचने के बाद डिनर करते हैं ....ऋषभ के गले में पेन हो रहा होता है तो वो लिली को गर्म पानी करके सेकाई करने को कहता है ..........

( ऊपर कमरे में अवनी भुनभुना रही होती है .....इस चक्कर में ऋषभ का फोन जो टेबल पर होता है  उसके हाथ से नीचे गिर जाता है जिसके कारण उस फोन का फेफड़ा बाहर आ जाता है ........वो हंसती है और टांग से मारकर बेड के नीचे कर देती है ..…..)

नोट - ये नोकिया वाला फोन है 😅जिसे ऋषभ ... यूज करता है बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट कामो के लिए ...उसके पास एंड्रॉयड भी है ...पर छोटे वाले फोन को वो रखता है ।

थोड़ी देर बाद ऋषभ अपने कमरे में आ जाता है और अपने फोन के बारे में पूछता है ...अवनी नहीं कहकर वॉशरूम मे घुस जाती है......जब बाहर आती है तो देखती है कि लिली ...ऋषभ के गले की सेकाई  कर रही है ....वो अपना फेस पोछते हुए मिरर के सामने बैठ जाती है और बालो को गुस्से😡 में झाड़ते हुए मिरर से ही ऋषभ को देखती है ......
ऋषभ वहीं बैठा ...आंखे बन्द किए मुस्कुरा रहा होता है .....अवनी खड़ी होती है और लिली से कहती हैं,
अवनी - तुम जाओ ....
लिली - पर मैम ..
अवनी - मैंने कहा ना जाओ .....
लिली - पर मैम...मास्टर ने ...
अवनी - तुम्हारे मास्टर की वाइफ मै हू या तुम......
लिली - मैम आप ....

( फिर वो कपड़ा देकर चली जाती है अवनी ....सेकई करने लगती है तो ऋषभ कहता है)
ऋषभ - जलन हो रही थीं...

( अवनी उफ़ कहकर सेकाई करने लगती है तो ऋषभ फिर से  पूछता है ..... इस बार अवनी उसके गले को थोड़ा दबा देती है ....ऋषभ - आ  आ करने लगता है और छूडा कर कहता है )

ऋषभ - ये क्या कर रही थी आप .....

( अवनी कोई जवाब नहीं देती है  और बुक लेकर बालकनी मे लगे सोफे पर लेट कर पढ़ने लगती है ......ऋषभ भी लाइट ऑफ करके सो जाता है )

....

अगली सुबह वो उठता है तो देखता है कि ....अवनी बालकनी में ही सोई पड़ी है ....वो कुछ सोचता है और मुस्कुराकर कंबल उठाता है और अवनी को ढ़क कर जैसे ही  उसके गालों पर किस करने जाता है  तो ....कोने में  देखकर .............शॉक हो जाता है जिसके चक्कर में उसका हाथ अवनी के मुंह पर चल जाता है ................................

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कैसा लगा  भाग 😃 समय। हो तो अपने विचार जरुर रखिए गा

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19 Comments

Ashant.

26-Apr-2022 09:08 PM

बहुत खूब

Reply

सिया पंडित

24-Feb-2022 06:19 PM

बहुत अच्छा भाग लिखा है अपने mam

Reply

Shivani Sharma

23-Feb-2022 08:59 PM

एक खूबसूरत कहानी है ये।मजा आया पढने में

Reply